1.The Prime Minister noted that the freedom struggle became a mass movement due to the visionary efforts of Mahatma Gandhi. He added that Mahatma Gandhi had merged the streams of Jan Bhagidari (public participation) and Jan Andolan (mass movement). 2.The Prime Minister said that Mahatma Gandhi instilled a spirit in every person that they are contributing to India’s freedom.
Opinion 27/02/2019 1710.
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1.The Prime Minister noted that the freedom struggle became a mass movement due to the visionary efforts of Mahatma Gandhi. He added that Mahatma Gandhi had merged the streams of Jan Bhagidari (public participation) and Jan Andolan (mass movement).
2.The Prime Minister said that Mahatma Gandhi instilled a spirit in every person that they are contributing to India’s freedom.
Ref -1. PM attends event to mark the presentation of Gandhi Peace Prize : 26 Feb, 2019 : PMINDIA
https://youtu.be/uAsuLqT6mHkPresident Ram Nath Kovind presented the Gandhi Peace Prize for the years 2015, 2016, 2017 & 2018, at a function in Rashtrapati Bhawan today. The event was attended by Prime Minister Narendra Modi.
Speaking on the occasion, the Prime Minister congratulated all those who have been conferred the prestigious Gandhi Peace Prize. He noted that the prize is being conferred at a time when India marks the 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi. The Prime Minister expressed happiness that on this occasion, the devotional hymn Vaishnav Jan To, which was so dear to Bapu, had been rendered by artistes in about 150 countries across the world. He said this is an indication that the world accepts the relevance of Gandhi’s ideals, even today.
The Prime Minister spoke of Mahatma Gandhi’s commitment to Swachhta.
The Prime Minister noted that the freedom struggle became a mass movement due to the visionary efforts of Mahatma Gandhi. He added that Mahatma Gandhi had merged the streams of Jan Bhagidari (public participation) and Jan Andolan (mass movement).
The Prime Minister said that Mahatma Gandhi instilled a spirit in every person that they are contributing to India’s freedom.
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Congratulations to all those who have been conferred the prestigious Gandhi Peace Prize.
The prize is being conferred at a time when India marks the 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi: PM @narendramodi
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The freedom struggle became a mass movement due to the visionary efforts of Bapu. He merged the streams of Jan Bhagidari and Jan Andolan.
Bapu instilled a spirit in every person that they are doing something for India's freedom: PM @narendramodi
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Ref-2. PM’s address at ‘Gandhi Peace Prize’ presentation ceremony at Rashtrapati Bhawan, New Delhi : 26 Feb, 2019 : PMINDIA
https://youtu.be/uAsuLqT6mHkमहामहिम राष्ट्रपति जी, उपस्थित सभी वरिष्ठ महानुभव और आज जिनको सम्मान प्राप्त हुआ है, वे सभी समाज को समर्पित महानुभव। मैं सबसे पहले आपसे क्षमा चाहता हूं, क्योंकि कार्यक्रम थोड़ा विलंब से प्रारंभ हुआ, क्योंकि मैं किसी एक और काम में व्यस्त हो गया जिसके कारण मुझे ही आने में देरी हुई मैं इसलिए आप सब से क्षमा चाहता हूं। आज गांधी शांति पुरस्कार के लिए जिन व्यक्ति और संगठनों को सम्मानित किया गया है, एक प्रकार से यह वर्ष महत्वपूर्ण भी हैक्योंकि पूज्य बापू की 150वीं जयंती देश और दुनिया मना रही है और पूज्य बापू जीवनभर जिन बातों को लेकर जिए, जिसको उन्होंने अपने जीवन में उतारा और जिसे समाज जीवन में संस्कारित करने का जिन्होंने अविरत प्रयास किया। ऐसे ही कामों को ले करके, जो संगठन समर्पित है, जो लोग समर्पित है, वे इस सम्मान के लिए पसंद किए जाते हैं। कन्याकुमारी का विवेकानंद केंद्र हो, एकल विद्यालय हो, यह समाज जीवन के आखिरी छोर पर बैठे हुए लोगों को शिक्षा और संस्कार के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं। समाज के लिए समर्पण भाव से काम करने वाले बहुत बड़ी श्रृंखला इन्होंने निर्माण की है। आज इस सम्मान के अवसर पर मैं उनका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।
जब गांधी जी से पूछा गया था तो एक बार उन्होंने कहा था कि स्वराज और स्वच्छता दोनों में से मुझे पहली कोई चीज पसंद करनी है, तो मैं स्वच्छता को पसंद करूंगा और पूज्य बापू का वो सपना पूरा करना हम सबका दायित्व है। देश के किसी भी कौने में जो भी स्वच्छता के लिए, शौचालय के लिए अपने आप को खपा देता है वो हम सबके लिए बहुत सम्मानीय है। और उसी बात को आगे बढ़ाने के लिए सुलभ शौचालय जिस प्रकार से कार्य कर रहा है, उनका भी आज अभिनंदन करने का अवसर मिला है। अक्षय पात्र के माध्यम से देश के बालकों को मध्याह्न भोजन मिले, सरकार की यह सभी राज्यों में चलने वाली गतिविधि है। उसको professionalism एक touch देने का प्रयास अक्षय पात्र ने किया है और मुझे कुछ ही समय पहले वृंदावन में जा करके तीन अरब की थाली परोसने का सौभाग्य मिला था। भारत सरकार भी कुपोषण के खिलाफ एक बहुत बड़ी व्यापक योजना के साथ एक मिशन के रूप में काम कर रही है, क्योंकि भारत का बचपन स्वस्थ हो, तो भारत स्वस्थ रहेगा और इसी भाव को ले करके इन प्रयासों में जन भागीदारी बहुत आवश्यक होती है। सरकार के प्रयासों में जब जन-भागीदारी जुड़ती है। तब उसकी शक्ति बढ़ जाती है।
महात्मा गांधी के जीवन की सफलता में सबसे बड़ी बात जो थी, आजादी के लिए मर-मिटने वाली परंपरा कभी इस देश में बंद नहीं हुई। जितने साल गुलामी रही, उतने साल क्रांतिवीर भी मिलते रहे। यह इस देश की विशेषता है, लेकिन गांधी जी ने आजादी को जन-आन्दोलन बना दिया था। समाज के लिए कोई भी काम करूंगा तो उससे आजादी आएगी, यह भाव पैदा किया था। जन-भागीदारी, जन-आन्दोलन आजादी के काल में, आजादी की लड़ाई के काल में जितना महात्मय था उतना ही समृद्ध-सुखी भारत के लिए उतना ही आवश्यक है। वो भी गांधी का ही दिखाया हुआ रास्ता है कि जन-भागीदारी और जन-आन्दोलन के साथ हम पूज्य बापू के सपनों को पूरा करते हुए गांधी की 150वीं जयंती और 2022 में आजादी के 75 साल उसके लिए हम संकल्प करके आगे बढ़े। पूज्य बापू एक विश्व मानव थे। आजादी के आंदोलन में इतनी व्यस्तता के बावजूद भी वे सप्ताह में एक दिन रक्तपितियों के लिए सेवा में लगाते थे। leprosyके लिए अपने आप को समय देते थे, खुद करते थे। क्योंकि समाज में जो मानसिकता बनी थी, उसको बदलने के लिए। सस्कावा जी करीब चार दशक में इस काम में जुड़े हुए हैं। leprosyके खिलाफ एक जन-जागरण पैदा हुआ है। समाज में अब उसकी स्वीकृति भी बनने लगी है। ऐसे अनेक लोग हैं, जिन्होंने रक्तपित के कारण समाज में जिनको वंचित कर दिया गया, उनकी वेदना को समझा और उनको मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया तो इन सभी प्रयासों को सम्मानित करना, पूज्य बापू को एक सच्ची श्रद्धांजलि का प्रयास है। गांधी 150वीं जयंती जब मना रहे हैं तो यह विश्व मानव, यह रूप में दुनिया उनको जाने और खुशी की बात है कि इस बार पूज्य बापू का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’, दुनिया के करीब-करीब 150 देशों के वहां के लोगों ने वहां के कलाकारों ने जो भारत की कोई भाषा नहीं जानते हैं, उन्होंने उसी ढंग से ‘वैष्णव जन तो तेने कहियो’यह भजन गाया और 150 देशों के गायक ‘वैष्णव जन’गाये हैं। यू-ट्यूब पर आप अगर जाएंगे तो इतना बड़ा… यानि भारत की पहचान कैसे बन रही है, कैसे बढ़ रही है, भारत की स्वीकृति कैसे बढ़ रही है और गांधी के आदर्श आज मानव कल्याण के लिए उपकारक कितने हैं। यह विश्व स्वीकार करने लगा है। इसके लिए अब हिन्दुस्तान के हर बच्चे के लिए, हर नागरिक के लिए इससे बड़ा गर्व क्या हो सकता है। फिर एक बार मैं सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। पूज्य बापू के चरणों में नमन करते हुए, विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।
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Ref-3. PM attends Gita Aradhana Mahotsav at ISKCON, New Delhi : 26 Feb, 2019 : PMINDIA
https://youtu.be/YDPSasYGpt4The Prime Minister, Shri Narendra Modi, attended the Gita Aradhana Mahotsav at ISKCON-Glory of India Cultural Centre, New Delhi, today.
He unveiled a unique Bhagwad Gita, prepared by ISKCON devotees. It measures over 2.8 meters and weighs over 800 kg.
Addressing the gathering, the Prime Minister said that it is indeed a special occasion to unveil this magnificent Bhagwad Gita. He said this unique book will become a symbol of India’s knowledge, to the world.
The Prime Minister recalled that Lokmanya Tilak had written the “Gita Rahasya,” while in jail, in which he explained in a simple way, Lord Krishna’s message of Nishkam Karma. He also mentioned that Mahatma Gandhi wrote “Bhagwad Gita according to Gandhi.” He added that a copy of this book was given by him to the former US President, Barack Obama.
The Prime Minister appreciated the efforts of Srila Bhaktivedanta Prabhupadaji, in raising global awareness about this epic.
The Prime Minister said that the Bhagwad Gita can always be our guide when we face a dilemma in life. Recalling a famous verse from the Gita, he said that the divine force is always with us, as we fight against the enemies of humanity. He said the Gita inspires one, to service of the people, and the nation.
The Prime Minister said that Indian values and culture offer solutions to many problems being faced by humanity. In this context, he also mentioned Yoga and Ayurveda.
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Ref-4.PM’s speech at unveiling ceremony of world’s largest Bhagavad Gita : 26 Feb, 2019 : PMINDIA
https://youtu.be/zVCA2rVMFUAहरे कृष्णा – हरे कृष्णा
एस्कॉन के चेयरमैन पूज्य गोपाल कृष्ण महाराज जी, मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री महेश शर्मा जी, संसद में मेरे सहयोगी श्रीमती मीनाक्षी लेखी जी, एस्कॉन के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यगण और यहां उपस्थित देवियो और सज्जनों।
मुझे बताया गया है कि इस कार्यक्रम में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, हंगरी समेत कई देशों से लोग पहुंचे हैं; आप सभी का भी बहुत-बहुत अभिवादन।
साथियो, आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। हरे कृष्णा, हरे कृष्णा। आज का दिवस इसलिए महत्वपूर्ण है कि आज सुबह ही मैंने गांधी शांति पुरस्कारों के कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अभी मुझे दिव्यत्तम ग्रंथ गीता के भव्यत्तम रूप को राष्ट्र को समर्पित करने का अवसर मिल रहा है। ये अवसर मेरे लिए और भी खास है क्योंकि मैं उस जगह खड़ा हूं, जहां करीब दो दशक पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इस मन्दिर परिसर का शिलान्यास किया था।
साथियो, दुनिया की ये भव्यत्तम श्रीमद्भभगवदगीता तीन मीटर लम्बी और 800 किलो की है। ये सिर्फ अपने आकार की वजह से ही खास नहीं है, वास्तव में ये सदियों तक दुनिया को दिए गए महान भारतीय ज्ञान का प्रतीक बन करके, प्रतिचिन्ह बन करके रहने वाली है। इस गीता को बनाने में एस्कॉन से जुड़े आप सभी ने अपना पूरा सामर्थ्य और रचनात्मकता लगाई है। ये गीता भगवान श्रीकृष्ण और स्वामी पूर्वार्द्ध के श्रद्धालुओं की भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इस सराहनीय प्रयास के लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं। इससे भारत के पुरातन और दिव्य ज्ञान की परम्परा की तरफ विश्व की रुचि और अधिक बढ़ेगी।
साथियो, भगवदगीता को सामान्य से सामान्य मानवी तक पहुंचाने के अनेक प्रयास अब तक हो चुके हैं। सबसे छोटी गीता से लेकर सबसे बड़ी गीता तक- इस दिव्य ज्ञान को सरल और सुलभ कराने के लिए निरन्तर कोशिशें हुई हैं। देश-विदेश की अनेक भाषाओं में भगवद-गीता का अनुवाद हो चुका है।
साथियो, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने तो जेल में रह करके गीता रहस्य लिखा है। इसमें लोकमान्य तिलक ने भगवान श्रीकृष्ण के निष्काम कर्मयोग की बहुत ही सरल व्याख्या की है। उन्होंने लिखा है कि गीता के संदेश का प्रभाव केवल दार्शनिक या विद्वानों की चर्चा तक सीमित नहीं है बल्कि आचार-विचार के क्षेत्र में भी वो सदैव जीता-जागता प्रतीत होता है। लोकमान्य तिलक ने मराठी में गीता के ज्ञान को सामान्य मानवी तक पहुंचाया और गुजराती में भी इसका अनुवाद कराया।
इसी गुजराती अनुवाद को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जेल में पढ़ा और इससे गांधीजी को भगवदगीता according to Gandhi, को लिखने में बहुत अधिक मदद मिली। इस रचना के माध्यम से गांधीजी ने गीता का एक और पक्ष दुनिया के सामने रखा। गांधीजी की ये पुस्तक मैंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति श्रीमान बराक ओबामा जी को भी उपहार के रूप में दी थी।
साथियो, श्रीमद्भगवदगीता भारत का दुनिया को सबसे प्रेरक उपहार है। गीता पूरे विश्व की धरोहर है। गीता हजारों साल से प्रासंगिक है। विश्व के नेताओं से लेकर सामान्य मानवी तक, सभी को गीता ने लोकहित में कर्म करने का मार्ग दिखाया है। भारत के करीब-करीब हर घर में तो किसी न किसी रूप में भगवदगीता विराजमान है ही, दुनिया भर की अनेक महान विभूतियां भी इसकी दिव्यता से अछूती नहीं रह पाई हैं। ज्ञान से लेकर विज्ञान तक हर क्षेत्र के अनेक लोगों की प्रेरणा, कुरुक्षेत्र के मैदान पर कही गई ये अमरवाणी है।
साथियो, मशहूर जर्मन philosopher Schopenhauer ने लिखा था- गीता और उपनिषद के अध्ययन से अधिक हितकर सम्पूर्ण विश्व में कोई अध्ययन नहीं है, जिसने मेरे जीवन को शांति से परिचित कराया और मेरी मृत्यु को भी अनंत शांति का भरोसा दिया। ये बातें उन्होंने उस दौर में कहीं जब हमारा देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, हमारी संस्कृति, हमारी परम्परा को भी कुचलने के अनेक प्रयास किए जा रहे थे, भारतीय दर्शन को नीचा दिखाने के भरपूर प्रयास चल रहे थे।
साथियो, दुनिया को भारत के इस पुरातन ज्ञान से, पवित्रता से परिचित कराने का एक बड़ा प्रयास मंच पर विराजमान विभूतियों ने किया है और मेरे सामने मौजूद अनेक विद्वानों और भगतों ने भी किया है। श्रीमद-भक्ति वेदान्त स्वामी प्रभुनाथ जी ने तो खुद को भगवद-गीता के लिए समर्पित कर दिया था। जिस प्रकार गांधीजी के लिए गीता और सत्याग्रह जीवन का अहम हिस्सा रहा है, उसी तरह स्वामीजी के लिए भी मानवता की सेवा के ये दो मार्ग हमेशा प्रिय रहे। यही कारण है कि उन्होंने पहले गांधीजी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा भी लिया था और देश के आजाद होने के बाद वो मानव-मुक्ति की अलख जगाने के लिए दुनिया के भ्रमण पर निकल गए। अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से हर प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने एस्कॉन जैसा एक अभियान छेड़ा जो आज भगवान श्रीकृष्ण के दिखाए मार्ग से दुनिया को परिचित कराने में जुटा हुआ है।
साथियो, गीता धर्मग्रंथ तो है, पर ये जीवन ग्रंथ भी है। हम किसी भी देश के हों, किसी भी पंथ के मानने वाले हों, पर हर दिन समस्याएं घेरती रहती हैं। हम जब भी वीर अर्जुन की तरह अनिर्णय के दौराहे पर खड़े होते हैं तो श्रीमद्भगवदगीता हमें सेवा और समर्पण के रास्ते इन समस्याओं के हल दिखाती है। अगर आप एक विद्यार्थी हैं और अनिर्णय की स्थिति में हैं, आप किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष हैं या फिर मोक्ष की कामना रखने वाले आप योगी हैं; आपको अपने हर प्रश्न का उत्तर श्रीमद्भगवदगीता में मिल जाएगा।
मैं तो मानता हूं कि गीता मानव जीवन की सबसे बड़ी manual book है। जीवन की हर समस्या का हल गीता में कहीं न कहीं मिल जाता है। आप प्रभु ने तो स्पष्ट कहा है-
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे।।
मतलब दुष्टों से, मानवता के दुश्मनों से धरती को बचाने के लिए प्रभु की शक्ति हमारे साथ हमेशा रहती है। यही संदेश हम पूरी प्रमाणिकता के साथ दुष्ट आत्माओं, असुरों को देने का प्रयास कर रहे हैं।
भाइयो और बहनों, प्रभु जब कहते हैं कि क्यों व्यर्थ चिंता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो, कौन तुम्हें मार सकता है, तुम क्या लेकर आए थे और क्या ले करके जाओगे- तो अपने-आप में खुद को जन सेवा और राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित होने की प्रेरणा अपने-आप मिल जाती है।
साथियो, हमने ये प्रयास किया है कि सरकार के हर फैसले, हर नीति के मूल में न्याय हो, समभाव हो, समता का सार हो। सबका साथ-सबका विकास का मंत्र इसी भावना का परिणाम है और हमारी हर योजना, हर निर्णय इसी भाव को परिलक्षित भी करते हैं। चाहे वो भ्रष्ट आचरण के विरुद्ध उठाए गए कदम हों या फिर गरीब कल्याण से जुड़े ये हमारे निरतंर कार्य। ये हमारा निरन्तर प्रयास रहा है कि अपने-पराये के चक्कर से राजनीति को बाहर निकाला जाए।
साथियो, हमारी सरकार का हमेशा से ये दृढ़ विश्वास रहा है कि भारतीय संस्कृति, भारतीय मूल्य, भारतीय परम्परा में दुनिया की अनेक समस्याओं का समाधान है। हिंसा हो, परिवारों के संकट हों, पर्यावरण से जुड़ी समस्या हो; ऐसी हर चुनौती जिससे दुनिया आज जूझ रही है, उसका समाधान भारतीय दर्शन में है। योग और आयुर्वेद की मुहिम को विश्वभर में पहचान और उसमें जुटे आप जैसे संस्थान और देश के अनेक संतों की तपस्या को हमारी सरकार ने बुलंद आवाज दी है। जिसके परिणामस्वरूप आज Health and Wellness के लिए विश्व तेजी से योग और आयुर्वेद की तरफ आकर्षित हो रहा है।
साथियो, मेरा ये भी मानना है कि योग आयुर्वेद से ले करके हमारे प्राचीन ज्ञान और विज्ञान से अभी दुनिया का सही मायने में परिचय होना काफी बाकी है। हमारा सर्वश्रेष्ठ अभी दुनिया के सामने आना बाकी है।
मेरा आप सभी से, हमारे पुरातन ज्ञान-विज्ञान से जुड़े तमाम कर्मयोगियों से ये आग्रह रहेगा कि वो अपने प्रयासों को और गति दें और नई पीढ़ी को भी रिसर्च से जोड़ें। सरकार आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार है।
एक बार फिर एस्कॉन से जुड़े हर भगत को, हर भारतवासी को, मानवता में विश्वास रखने वाले दुनिया के हर व्यक्ति को इस दिव्य भगवद-गीता के लिए मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई।
आपने मुझे यहां आमंत्रित किया, इस पवित्र अवसर का भागीदार बनाया। इसके लिए मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद, हरे कृष्णा।
***
OPINION :
1. GREAT RESPECTS TO FATHER OF NATION;
2. CONGRESSMEN, ALMOST FORGOT THE TEACHINGS OF MAHATMA; WHY THEY HAVE NO RESPECTS TO MAHATMA AT ALL;
3. APART FROM SWATCH, MAHATMA HAD GREAT RESPECT TO GITA AND FOLLOWED TOO;
4. CONGRESSMEN ABUSED SANATANA DHARMAM AND ALL SCRIPTURES OF ANCIENT BHARATHAM MISUSING THE STUPID TERM SECULARISM;
5. CONDEMN THESE TYPES OF BUGGERS, KNOCK THEM OUT OF POLITICS.
LAST WORDS :
1. A GREAT DAY;
2. GREAT OFFER OF RESPECTS;
3. HOLY SRIMAD BHAGAVAD GITA FOR MANKIND ALL OVER WORLD;
4. NONE ABOVE GITA A GREAT HANDBOOK TO ALL;
5. IRRESPECTIVE OF RELIGIONS, ALL SHOULD READ, LEARN, AND PRACTICE IN DAILY LIFE FOR THEIR OWN YOGAKSHEMAM.
JAI HIND
JAI BHARATHAM
VANDE MATARAM
BHARAT MATA KI JAI
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