1.#Opinion : Monday, 31 Jul 2023 06:00. 3208./// 1.#PMINDIA : News Updates : PM spends time with children at the sidelines of Akhil Bharatiya Shiksha Samagam : 29 Jul, 2023 : Print News ///
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1.#Opinion : Monday, 31 Jul 2023 06:00. 3208.///
1.#PMINDIA : News Updates : PM spends time with children at the sidelines of Akhil Bharatiya Shiksha Samagam : 29 Jul, 2023 : Print News
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#PM spends time with children at the sidelines of Akhil Bharatiya Shiksha Samagam
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#The Prime Minister, Shri Narendra Modi spent time with children at Bal Vatika on the sidelines of Akhil Bharatiya Shiksha Samagam at Bharat Mandapam today.
He tweeted that it is very refreshing and energizing to spend time with children.
“मासूम बच्चों के साथ आनंद के कुछ पल! इनकी ऊर्जा और उत्साह से मन उमंग से भर जाता है।”
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2.#PM’s speech at Akhil Bharatiya Shiksha Samagam at Bharat Mandapam, Pragati Maidan, New Delhi : 29 Jul, 2023 : Print News.
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VIDEO : PM Modi addresses Akhil Bharatiya Shiksha Samagam, Bharat Mandapam, Pragati Maidan
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#PM’s speech at Akhil Bharatiya Shiksha Samagam at Bharat Mandapam, Pragati Maidan, New Delhi
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मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अन्नपूर्णा देवी जी, राजकुमार रंजन सिंह जी, सुभाष सरकार जी, देश के विभिन्न भागों से आए शिक्षकगण, सम्मानित प्रबुद्धजन, और देशभर से जुड़े मेरे प्यारे विद्यार्थी दोस्तों।
ये शिक्षा ही है, जिसमें देश को सफल बनाने, देश का भाग्य बदलने की सर्वाधिक जिसमें ताकत है, वो शिक्षा है। आज 21वीं सदी का भारत, जिन लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उसमें हमारी शिक्षा व्यवस्था का भी बहुत ज्यादा महत्व है। आप सभी इस व्यवस्था के प्रतिनिधि हैं, ध्वजवाहक हैं । इसलिए ‘अखिल भारतीय शिक्षा समागम’ का हिस्सा बनना, मेरे लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है।
मैं मानता हूं, विद्या के लिए विमर्श जरूरी होता है। शिक्षा के लिए संवाद जरूरी होता है। मुझे खुशी है कि अखिल भारतीय शिक्षा समागम के इस सत्र के जरिए हम विमर्श और विचार की अपनी परंपरा को और आगे बढ़ा रहे हैं। इसके पहले, ऐसा आयोजन काशी के नवनिर्मित रुद्राक्ष सभागार में हुआ था। इस बार ये समागम दिल्ली के इस नवनिर्मित भारत मंडपम में हो रहा है। और खुशी की बात ये है कि विधिवत रूप से भारत मंडपम के लोकार्पण के बाद ये पहला कार्यक्रम है, और खुशी इसलिए बढ़ जाती है कि पहला कार्यक्रम शिक्षा से जुड़ा कार्यक्रम हो रहा है।
साथियों,
काशी के रुद्राक्ष से लेकर इस आधुनिक भारत मंडपम तक, अखिल भारतीय शिक्षा समागम की इस यात्रा में एक संदेश भी छिपा है। ये संदेश है-प्राचीनता और आधुनिकता के संगम का! यानी, एक ओर हमारी शिक्षा व्यवस्था भारत की प्राचीन परम्पराओं को सहेज रही है, तो दूसरी तरफ आधुनिक साइन्स और हाइटेक टेक्नोलॉजी, इस फील्ड में भी हम उतना ही तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मैं इस आयोजन के लिए, शिक्षा व्यवस्था में आपके योगदान के लिए, आप सभी साथियों को शुभकामनाएं देता हूँ, साधुवाद देता हूं।
संयोग से आज हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 3 साल भी पूरे हो रहे हैं। देश भर के बुद्धिजीवियों ने, academicians ने और टीचर्स ने इसे एक मिशन के रूप में लिया, और आगे भी बढ़ाया है। मैं आज इस अवसर पर उन सभी का भी धन्यवाद करता हूँ, उनका आभार प्रकट करता हूँ।
अभी मैं यहां आने के पहले पास के pavilion में लगी हुई प्रदर्शनी देख रहा था। इस प्रदर्शनी में हमारे स्किल और एजुकेशन सेक्टर की ताकत को, उसकी उपलब्धियों को दिखाया गया है। नए नए innovative तरीके दिखाए गए हैं। मुझे वहाँ बाल-वाटिका में बच्चों से मिलने का, और उनके साथ बात करने का भी मौका मिला। बच्चे खेल-खेल में कैसे कितना कुछ सीख रहे हैं, कैसे शिक्षा और स्कूलिंग के मायने बदल रहे हैं, ये देखना मेरे लिए वाकई उत्साहजनक था। और मैं आप सबसे भी आग्रह करूंगा कि कार्यक्रम समाप्त होने के बाद जब मौका मिले तो जरूर वहां जा करके उन सारी गतिविधियों को देखें।
साथियों,
जब युग बदलने वाले परिवर्तन होते हैं, तो वो अपना समय लेते हैं। तीन साल पहले जब हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की थी, तो एक बहुत बड़ा कार्यक्षेत्र हमारे सामने था। लेकिन आप सभी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए जो कर्तव्य भाव दिखाया, जो समर्पण दिखाया और खुले मन से नए विचारों का, नए प्रयोगों को स्वीकार करने का साहस दिखाया, ये वाकई अभिभूत करने वाला है और नया विश्वास पैदा करने वाला है।
आप सभी ने इसे एक मिशन के तौर पर लिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में traditional knowledge systems से लेकर futuristic technology तक उसको बराबर एक balance way में उसको अहमियत दी गई है। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में नया पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए, क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तकें लाने के लिए, उच्च शिक्षा के लिए, देश में रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए, देश के शिक्षा जगत के सभी महानुभावों ने बहुत परिश्रम किया है।
देश के सामान्य नागरिक और हमारे विद्यार्थी नई व्यवस्था से भली-भांति परिचित हैं। वो ये जान गए हैं कि ‘Ten Plus Two’ एजुकेशन सिस्टम की जगह अब ‘Five Plus Three - Plus Three Plus Four’ ये प्रणाली पर अमल हो रहा है। पढ़ाई की शुरुआत भी अब तीन साल की आयु से होगी। इससे पूरे देश में एकरूपता आएगी।
हाल ही में संसद में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल पेश करने के लिए कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क भी जल्द ही लागू हो रहा है। मुझे बताया गया है कि फाउंडेशन स्टेज यानी 3 से 8 साल के बच्चों के लिए फ्रेमवर्क तैयार भी हो गया है। बाकी के लिए करिकुलम बहुत जल्द ही हो जाएगा। स्वाभाविक तौर पर अब पूरे देश में CBSE स्कूलों में एक तरह का पाठ्यक्रम होगा। इसके लिए NCERT नई पाठ्यपुस्तकें तैयार कर रही है। तीसरी से 12वीं कक्षाओं तक लगभग 130 विषयों की नई किताबें आ रही हैं और मुझे खुशी है कि क्योंकि अब शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में भी दी जानी है, इसलिए ये पुस्तकें 22 भारतीय भाषाओं में होंगी।
साथियों,
युवाओं को उनकी प्रतिभा की जगह उनकी भाषा के आधार पर जज किया जाना, उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है। मातृभाषा में पढ़ाई होने से भारत के युवा टेलेंट के साथ अब असली न्याय की शुरुआत होने जा रही है। और ये सामाजिक न्याय का भी अहम कदम है। दुनिया में सैंकड़ों अलग-अलग भाषाएं हैं। हर भाषा की अपनी अहमियत है। दुनिया के ज़्यादातर विकसित देशों ने अपनी भाषा की बदौलत बढ़त हासिल की है। अगर हम केवल यूरोप को ही देखें, तो वहां ज़्यादातर देश अपनी-अपनी नेटिव भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं। लेकिन हमारे यहाँ, इतनी सारी समृद्ध भाषाएँ होने के बावजूद, हमने अपनी भाषाओं को पिछड़ेपन के तौर पर पेश किया। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। कोई कितना भी इनोवेटिव माइंड क्यों न हो, अगर वो अंग्रेजी नहीं बोल सकता था तो उसकी प्रतिभा को जल्दी स्वीकार नहीं किया जाता था। इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारे ग्रामीण अंचल के होनहार बच्चों को उठाना पड़ा है। आज आजादी के अमृतकाल में National Education Policy के जरिए देश ने इस हीनभावना को भी पीछे छोड़ने की शुरुआत की है। और मैं तो यूएन में भी भारत की भाषा बोलता हूं। सुनने वाले को ताली बजाने में देर लगेगी तो लगेगी।
साथियों,
अब सोशल साइन्स से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई भी भारतीय भाषाओं में होगी। युवाओं के पास भाषा का आत्मविश्वास होगा, तो उनका हुनर, उनकी प्रतिभा भी खुल करके सामने आएगी। और, इसका एक और लाभ देश को होगा। भाषा की राजनीति करके अपनी नफरत की दुकान चलाने वालों का भी शटर डाउन हो जाएगा। National Education Policy से देश की हर भाषा को सम्मान मिलेगा, बढ़ावा मिलेगा।
साथियों,
आजादी के अमृत महोत्सव में, आने वाले 25 साल बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इन 25 सालों में हमें ऊर्जा से भरी एक युवा पीढ़ी का निर्माण करना है। एक ऐसी पीढ़ी, जो गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो। एक ऐसी पीढ़ी, जो नए-नए Innovations के लिए लालायित हो। एक ऐसी पीढ़ी, जो साइंस से लेकर स्पोर्ट्स तक हर क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करे, भारत का नाम आगे बढ़ाए। एक ऐसी पीढ़ी, जो 21वीं सदी के भारत की आवश्यकताओं को समझते हुए अपना सामर्थ्य बढ़ाए। और, एक ऐसी पीढ़ी, जो कर्तव्य बोध से भरी हुई हो, अपने दायित्वों को जानती हो-समझती हो। और इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बहुत बड़ी भूमिका है।
साथियों,
क्वालिटी एजुकेशन की दुनिया में कई पैरामीटर्स हैं, लेकिन, जब हम भारत की बात करते हैं तो हमारा एक बड़ा प्रयास है-समानता! राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्राथमिकता है- भारत के हर युवा को समान शिक्षा मिले, शिक्षा के समान अवसर मिलें। जब हम समान शिक्षा और समान अवसरों की बात करते हैं, तो ये ज़िम्मेदारी केवल स्कूल खोल देने मात्र से पूरी नहीं हो जाती। समान शिक्षा का मतलब है- शिक्षा के साथ-साथ संसाधनों तक समानता पहुंचनी चाहिए। समान शिक्षा का मतलब है- हर बच्चे की समझ और चॉइस के हिसाब से उसे विकल्पों का मिलना। समान शिक्षा का मतलब है- स्थान, वर्ग, क्षेत्र के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें।
इसीलिए, National Education Policy का विज़न ये है, देश का प्रयास ये है कि गांव-शहर, अमीर-गरीब, हर वर्ग में युवाओं को एक जैसे अवसर मिलें। आप देखिए, पहले कितने ही बच्चे केवल इसलिए नहीं पढ़ पाते थे क्योंकि सुदूर क्षेत्रों में अच्छे स्कूल नहीं होते थे। लेकिन आज देशभर में हजारों स्कूलों को पीएम- श्री स्कूल के तौर पर अपग्रेड किया जा रहा है। ‘5G’ के इस युग में ये आधुनिक हाईटेक स्कूल, भारत के विद्यार्थियों के लिए आधुनिक शिक्षा का माध्यम बनेंगे।
आज आदिवासी इलाकों में एकलव्य आदिवासीय स्कूल भी खोले जा रहे हैं। आज गांव-गांव इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। दीक्षा, स्वयं और स्वयंप्रभा जैसे माध्यमों से दूर-दराज के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। अच्छी से अच्छी किताबें, creative learning techniques हों, आज डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए गांव-गांव ये नए विचार, नई व्यवस्था, नए अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। यानि भारत में पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधनों का गैप भी तेजी से खत्म हो रहा है।
साथियों,
आप जानते हैं, National Education Policy की एक बड़ी प्राथमिकता ये भी है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित न रहे, बल्कि, practical learning इसका हिस्सा बने। इसके लिए vocational education को, general education के साथ integrate करने का काम भी हो रहा है। इसका सबसे बड़ा लाभ कमजोर, पिछड़े और ग्रामीण परिवेश के बच्चों को ज्यादा होगा।
किताबी पढ़ाई के बोझ के कारण यही बच्चे सबसे ज्यादा पिछड़ते थे। लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, अब नए तरीकों से पढ़ाई होगी। ये पढ़ाई interactive भी होगी, साथ-साथ interesting भी होगी। पहले लैब और practical की सुविधा बहुत ही कम स्कूलों में ही उपलब्ध थी। लेकिन, अब अटल टिंकरिंग लैब्स में 75 लाख से ज्यादा बच्चे साइन्स और इनोवेशन सीख रहे हैं। साइन्स अब सबके लिए समान रूप से सुलभ हो रही है। यही नन्हें वैज्ञानिक आगे चलकर देश के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स को लीड करेंगे, भारत को दुनिया का रिसर्च हब बनाएँगे।
साथियों,
किसी भी सुधार के लिए साहस की जरूरत होती है, और जहां साहस होता है, वहीं नई संभावनाएं जन्म लेती हैं। यही वजह है कि विश्व आज भारत को नई संभावनाओं की नर्सरी के रूप में देख रहा है। आज दुनिया जानती है कि जब सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी की बात आएगी, तो भविष्य भारत का है। दुनिया जानती है कि है जब स्पेस टेक की बात होगी तो भारत की क्षमता का मुकाबला आसान नहीं है। दुनिया जानती है कि जब डिफेंस टेक्नोलॉजी की बात होगी तो भारत का ‘लो कॉस्ट’ और ‘बेस्ट क्वालिटी’ का मॉडल ही हिट होने वाला है। दुनिया के इस भरोसे को हमें कमजोर नहीं पड़ने देना है।
बीते वर्षों में जिस तेजी से भारत की औद्योगिक साख बढ़ी है, जिस तेजी से हमारे स्टार्टअप्स की धमक दुनिया में बढ़ी है, उसने हमारी शैक्षणिक संस्थानों का सम्मान भी विश्व भर में बढ़ाया है। तमाम ग्लोबल रैंकिंग्स में इंडियन इंस्टीट्यूट्स की संख्या बढ़ रही है, हमारी रैंकिंग में भी इजाफा हो रहा है। आज हमारे IIT के दो-दो कैंपस जंजिबार और अबू धाबी में खुल रहे हैं। कई दूसरे देश भी अपने यहां हमसे IIT कैंपस खोलने का आग्रह कर रहे हैं। दुनिया में इससे मांग बढ़ रही है। हमारे एजुकेशन ecosystem में आ रहे इन सकारात्मक बदलावों के कारण कई ग्लोबल यूनिवर्सिटीज़ भी भारत में अपने कैंपस खोलना चाहती हैं। ऑस्ट्रेलिया की दो universities गुजरात के गिफ्ट सिटी में अपने कैंपस खोलने वाली हैं। इन सफलताओं के बीच, हमें अपनी शिक्षण संस्थानों को लगातार मजबूत करना है, इन्हें फ्यूचर रेडी बनाने के लिए निरंतर मेहनत करनी है। हमें हमारे इंस्टीट्यूट्स, हमारी यूनिवर्सिटीज़, हमारे स्कूल्स और कॉलेजेज़ को इस revolution का केंद्र बनाना है।
साथियों,
समर्थ युवाओं का निर्माण सशक्त राष्ट्र के निर्माण की सबसे बड़ी गारंटी होती है और, युवाओं के निर्माण में पहली भूमिका माता-पिता और शिक्षकों की होती है। इसलिए, मैं शिक्षकों और अभिभावकों, सभी से कहना चाहूंगा कि बच्चों को हमें खुली उड़ान देने का मौका देना ही होगा। हमें उनके भीतर आत्मविश्वास भरना है ताकि वो हमेशा कुछ नया सीखने और करने का साहस कर सकें। हमें भविष्य पर नज़र रखनी होगी, हमें futuristic माइंडसेट के साथ सोचना होगा। हमें बच्चों को किताबों के दबाव से मुक्त करना होगा।
आज हम देख रहे हैं कि AI (Artifical Techonolgy) जैसी टेक्नोलॉजी, जो कल तक साइन्स फ़िक्शन में होती थी, वो अब हमारे जीवन का हिस्सा बन रही है। रोबोटिक्स और ड्रोन टेक्नोलॉजी हमारे दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है। इसलिए, हमें पुरानी सोच से निकलकर नए दायरों में सोचना होगा। हमें अपने बच्चों को उसके लिए तैयार करना होगा। मैं चाहूँगा कि हमारे स्कूलों में फ्युचर टेक से जुड़े इंटरैक्टिव सेशन आयोजित हों। Disaster management हो, क्लाइमेट चेंज हो, या क्लीन एनर्जी जैसे विषय हों, हमारी नई पीढ़ी को हमें इनसे भी रूबरू कराना होगा। इसलिए, हमें हमारी शिक्षा व्यवस्था को इस तरह से तैयार करना होगा, ताकि युवा इस दिशा में जागरूक भी हों, उनकी जिज्ञासा भी बढ़े।
साथियों,
भारत भी जैसे-जैसे मजबूत हो रहा है, भारत की पहचान और परम्पराओं में भी दुनिया की दिलचस्पी बढ़ रही है। हमें इस बदलाव को विश्व की अपेक्षा के तौर पर लेना होगा। योग, आयुर्वेद, कला, संगीत, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाएं जुड़ी हैं। हमें हमारी नई पीढ़ी को इनसे परिचित करवाना होगा। मुझे विश्वास है, अखिल भारतीय शिक्षा समागम के लिए ये सभी विषय प्राथमिकता में होंगे ही।
भारत के भविष्य को गढ़ने के आप सबके ये प्रयास एक नए भारत की नींव का निर्माण करेंगे। और मुझे पक्का विश्वास है कि 2047 में हम सबका सपना है, हम सबका संकल्प है कि जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, 2047 में ये हमारा देश विकसित भारत होकर रहेगा। और ये कालखंड उन युवाओं के हाथ में है, जो आज आपके पास ट्रेनिंग ले रहे हैं। जो आज आपके पास तैयार हो रहे हैं, वो कल देश को तैयार करने वाले हैं। और इसलिए आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देते हुए इस सपने को पूरा करने के लिए हर युवा के हृदय में संकल्प का भाव जगे, उस संकल्प को साकार करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा हो, सिद्धि प्राप्त करके रहें, इस इरादे से आगे बढ़ें।
मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं, बहुत बहुत धन्यवाद!
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JAI HIND
JAI BHARATHAM
VANDHE MADHARAM
BHARAT MATHA KI JAI.
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